मृत्यु के आंकड़े छुपाकर
अमानवीय व आपराधिक कृत्य कर रही भाजपा सरकार
मण्डला - कोरोना की इस भीषण आपदा ने हर किसी से कुछ न कुछ छीन लिया है। हम सभी एक ऐसे दौर से गुजर रहे हैं जहां मानवता भी खून के आंसू रोई है। लेकिन इन भयानक मंजर के बाद भी प्रदेश की भाजपा सरकार और जिले के प्रशासन ने मिलकर ऐसा अमानवीय कृत्य किया है जिससे मानवता भी शर्मसार हो रही है। कोरोना के इस दौर में जहां सरकार व प्रशासन को सबकुछ पारदर्शी रखना था वहीं सरकार ने सिर्फ अपनी छवि बचाने और जबाबदेही से बचने के लिए कोरोना से हुई मौतों के आंकड़ों में ही हेरफेर कर डाला है।
शनिवार को मण्डला नगर के
जनपद पंचायत सभा कक्ष में जिला कांग्रेस कमेटी द्वारा आयोजित पत्रकार वार्ता में
जिला संगठन प्रभारी व जबलपुर विधायक विनय सक्सेना, जिला अध्यक्ष एड राकेश तिवारी, बिछिया विधायक नारायण सिंह पट्टा, निवास विधायक डॉ अशोक मर्सकोले, नगरपालिका अध्यक्ष पूर्णिमा शुक्ला ने उपरोक्त आरोप लगाए और कहा कि जहां जिले
में कोरोना से वास्तविक रूप से हजारों मौतें हुई हैं वहीं जिले का प्रशासन सिर्फ
17 मौतें बताकर मृतकों का मजाक उड़ाने जैसी घटिया हरकत कर रहा है लेकिन हम भाजपा
सरकार की इस संवेदनहीनता और फर्जीवाड़े को हम अब चलने नहीं देंगे आज आप सभी के
सामने जिले में हुई मौतों के आंकड़े रखकर आम जनता को वास्तविकता से अवगत कराएंगे और
जनता के हक के लिए इसकी लड़ाई सड़क से लेकर न्यायालय तक लड़ेंगे।
जिले में अप्रैल और मई माह
में हुई 2827 मौतें
पत्रकार वार्ता में
दस्तावेजो से साथ आंकड़े प्रस्तुत करते हुए बताया गया कि जिले की 9 जनपदों के
अंतर्गत ग्राम पंचायतों में कुल 2539 मौतें हुई हैं। वहीं जिले के 5 नगरीय निकायों
में 288 मृत्यु हुई हैं। ये सभी आंकड़े संबंधित जनपद पंचायतों व नगरीय निकायों से
प्राप्त किये गए हैं।
इन आंकड़ों को लेकर
कांग्रेस ने कहा है कि यदि इन सभी के कोरोना टेस्ट नहीं किये गए हैं तो इन सभी को
कोरोना से हुई मृत्यु में शामिल किया जाए और यदि प्रशासन के पास इन 2827 मृतको की
कोरोना की नेगेटिव रिपोर्ट है तो वे अपने 17 मौतों के आंकड़ों को सही मानें।
प्रशासन साबित करे कि कोरोना से सिर्फ 17 मौतें हुई हैं।
जिला प्रशासन और जनपदों के
आंकड़े नहीं खा रहे मेल
कोरोना से हुई मौतों को
लेकर जिला प्रशासन द्वारा सिर्फ 17 मौतों का आंकड़ा दिया जा रहा है वहीं हमारे
द्वारा जनपदों से जुटाई गई जानकारी में ही 47 मौतें आधिकारिक रूप से कोरोना
संक्रमण से बताई गई हैं। घुघरी जनपद में 3, बिछिया जनपद में 13, नैनपुर जनपद में 18, मवई जनपद में 4, नारायणगंज जनपद में 3, बीजाडांडी जनपद में 4, निवास जनपद में 2 मौतें कोरोना संक्रमण से हुई जनपदों द्वारा ही बताई गई हैं।
जबकि इसमें मण्डला और मोहगांव जनपद का आंकड़ा शामिल नहीं है। वहीं नगरीय निकायों के
आंकड़े भी इसमें शामिल नहीं हैं। जिले के विभागों के आंकड़ों में ही मेल नही है, जिला प्रशासन की 17 मौतें और जनपदों की 47 से
ज्यादा। इसका सीधा मतलब यही है कि आंकड़ो में हेरफेर की गई है और यह सीधे तौर पर एक
आपराधिक कृत्य है।
जिला अस्पताल में भर्ती
हुए मरीजों के नहीं हुए कोरोना टेस्ट
कोरोना के उपचार के लिए जिला चिकित्सालय में ही मुख्य व्यवस्था बनाई गई थी, जिसके कारण जिले के लगभग सभी मरीज यहीं भर्ती किये गए लेकिन आंकड़े छुपाने के लिए सबसे बड़ी साजिश जिला अस्पताल में ही की गई। उपचार के लिए जिला अस्पताल आने वाले प्रत्येक मरीज को या तो कोरोना वार्ड में भर्ती किया गया या कोविड सस्पेक्टेड वार्ड में। कोरोना वार्ड के मरीजों का तो टेस्ट हुआ लेकिन जो हजारों मरीज कोविड सस्पेक्टेड वार्ड में भर्ती किये गए उनके कोरोना टेस्ट किये ही नहीं गए और उन्ही में से सैकड़ो मरीजों की मौत हुई जिनका अंतिम संस्कार भी कोरोना प्रोटोकॉल के अनुसार किया गया, लेकिन उन मृतकों को कोरोना से हुई मौतों के आंकड़ों में शामिल नहीं किया गया। इसके लिए जिला अस्पताल के संस्था प्रमुख अर्थात सिविल सर्जन ने एक आपराधिक कृत्य किया है। आंकड़े छुपाने के लिए सिविल सर्जन ने अपनी ड्यूटी ही नहीं निभाई। नियम के अनुसार सिविल सर्जन को अस्पताल में भर्ती होने वाले हर मरीज की फाइल देखनी चाहिए और उसमें यदि कोई टेस्ट या दवाई की कमी है तो उसे पूरा करवाना चाहिए लेकिन जिला अस्पताल के वर्तमान सिविल सर्जन ने कोरोना संक्रमण के इन दो माहों में मरीजों की फाइल देखना तो दूर एक बार कोरोना वार्ड में तक नहीं गए, यह लापरवाही जानबूझकर की गई ताकि आंकड़े छुपाए जा सकें। हमने सिर्फ मण्डला नगरपालिका से ही जो आंकड़े लिए वो चैंकाने वाले हैं, नगरपालिका मण्डला ने 28 अप्रैल से 28 मई के बीच ही 145 मृतकों का अंतिम संस्कार कोरोना प्रोटोकॉल से करवाया है यदि पूरे अप्रैल माह से लेकर अभी तक की जानकारी ली जाएगी तो यह आंकड़ा 200 से भी ज्यादा होगा लेकिन केवल और केवल मरीजों को जानबूझकर कोरोना टेस्ट नहीं करवाने के कारण प्रशासन को आंकड़े छुपाने के लिए एक कारण मिला। इस पूरे षड्यंत्र को जानबूझकर अंजाम दिया गया ताकि कोरोना रिपोर्ट का झंझट ही खत्म हो जाये और आंकड़े कम से कम आएं। यह एक बहुत बड़ा आपराधिक कृत्य है जिसकी जांच सिविल सर्जन की भूमिका से शुरू करनी चाहिए जिससे आंकड़े छुपाने के इस अपराध का पर्दाफाश हो सके।
यह मांग की गई है कि इस आंकड़े छुपाने के अमानवीय और
संवेदनहीन कृत्य के लिए जिले के जिम्मेदार प्रशासनिक अधिकारियों सहित जिले के
प्रभारी मंत्री, प्रदेश के स्वास्थ्य
मंत्री और मुख्यमंत्री के विरुद्ध जालसाजी, फर्जीवाड़ा सहित अन्य धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया जाए। इसके लिए कांग्रेस
सड़क से लेकर न्यायालय तक की लड़ाई लड़ेगी और आम जनता के हक के लिए संघर्ष करेगी।
जिले में अप्रैल और मई में हुई 2827 मौतों को कोरोना से हुई मौतों में शामिल किया
जाए और प्रत्येक मृतक के परिजनों को सरकार द्वारा घोषित योजना के तहत 5 लाख रुपये
की सहायता राशि दी जाए।

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