मंडला - राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन मप्र द्वारा
हेल्थ वर्कर्स के नियमित टीकाकरण के लिए नवीन मॉड्यूल विकसित किया गया है। जिले
में हेल्थ वर्कर्स का दो दिवसीय जिला स्तरीय प्रशिक्षण कटरा रोड शिखर पैलेस में
आयोजित किया गया। जिले में स्वास्थ्य विभाग द्वारा गर्भवती
महिलाओं और जन्म से बच्चो का नियमित टीकाकरण कार्यक्रम के तहत टीकाकरण किया जा रहा
है।
जिला टीकाकरण अधिकारी डॉ. वायके झारिया ने बताया कि नियमित टीकाकरण कार्यक्रम
में जन्म से 16 वर्ष तक के किशोर बालक बालिकाओं का
नि:शुल्क टीकाकरण किया जा रहा है। नियमित टीकाकरण के लिए हेल्थ वर्कर्स को
प्रशिक्षण दिया गया। प्रशिक्षण में टीकाकरण की विभिन्न गतिविधियों और टीकाकरण
माड्युल के संबंध में विस्तार से दो दिवसीय प्रशिक्षण में समझाया गया। प्रशिक्षण
में जिले की एएनएम, सुपरवाईजर उपस्थित रहे। आयोजित दो दिवसीय प्रशिक्षण में मास्टर
ट्रेनर डॉ वाईके झरिया, डॉ जीपी सिंह, अर्जुन सिंह, करुणा मार्को, ओवैस खान ने प्रशिक्षण दिया। प्रशिक्षण
के समापन अवसर पर सीएमएचओ डॉ श्री नाथ सिंह मौजूद रहे। प्रशिक्षण में उपस्थित
एएनएम और सुपरवाइजर को प्रमाण पत्र वितरित किया गया।
आयोजित दो दिवसीय टीकाकरण हेल्थ वर्कर मॉड्यूल प्रशिक्षण में टीकाकरण का महत्व
बताते हुए कहां कि टीकाकरण समुदाय को सुरक्षित रखने के लिए सुरक्षा कवच का काम
करता है। टीकाकरण कराने से बच्चों के शरीर में रोग प्रतिरक्षण विकसित होता है और
उनकी रोग से लडऩे की क्षमता बढ़ जाती है। टीकाकरण से बच्चों में कई संक्रामक
बीमारियों की समय रहते रोकथाम हो जाती है। बच्चों को जानलेवा बीमारियों से बचाव के
लिए टीके लगवाना जरूरी है। जिसमें खसरा, टिटनस, पोलियो, क्षय रोग, गलघोंटू, काली खांसी और
हेपेटाईटिस बी का टीका। वहीं कुछ टीके गर्भवती महिलाओं को भी
लगाए जाते है, जिससे उन्हें व होने वाले शिशु को टिटनस
व अन्य गंभीर बीमारियों से बचाया जा सके।
टीकाकरण का महत्व :
आयोजित टीकाकरण प्रशिक्षण में उपस्थित एएनएम, सुपरवाइजर को टीकाकरण का महत्व बताया। जिसमें बताया कि
टीकाकरण से 12 जानलेवा बीमारियों से बचाव किया जा सकता
है। आईएमआर एवं एमएमआर में 18 प्रतिशत गिरावट
लाता है। कुपोषण दर में 50 प्रतिशत की गिरावट आती है। बाल विकलांगता
दर में 80 प्रतिशत की कमी आती है। टीकाकरण से आउट
ऑफ एक्सपेंडीचर को कम करता है।
टीकाकरण के प्रति स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं की भूमिका :
टीकाकरण प्रशिक्षण में प्रशिक्षण ले रही एएनएम और सुपरवाइजर को उनकी भूमिका के
बारे में विस्तार से बताया। जिसमें स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं की भूमिका बताते हुए
कहां की टीकाकरण के लिए कार्य योजना बनाना जरूरी
है, शीत श्रृंखला का प्रबंधन करना, वैक्सीन कैरियर और अन्य टीकाकरण
सामग्रियों को सत्र स्थल पर प्राप्त करना, टीकाकरण सत्र की तैयारी और आयोजन करना, लाभार्थियों के अभिभावकों के साथ संवाद
स्थापित करना, रिकॉर्डिंग, रिपोर्टिंग और ड्रॉपआउट के मामलों का पता
लगाना, आशा और आगंनवाड़ी की कार्यकर्ताओं को
प्रशिक्षित कर उनकी कार्य क्षमता का विस्तार करने के साथ आईसीडीएस पर्यवेक्षकों के
साथ समन्वय स्थापित करना है।
टीकाकरण कवरेज कम होने के मुख्य कारण :
टीकाकरण का कम कवरेज़ पूरे समुदाय और क्षेत्र को बीमारी होने के खतरे में डाल
देता है। टीकाकरण के स्तर में कमी का कारण ड्रॉप आउट या लेफ्ट-आउट हो सकता है।
ड्रॉप आउट में वैसे लाभार्थी जो एक या एक से अधिक टीके लेकर अगले टीके के लिये
नहीं आते हैं, जिससे उनका टीकाकरण अधूरा रह जाता है।
लेफ्ट-आउट में लाभार्थी जिन्हें पहचान या सूचीबद्ध नहीं किया गया है और वे कोई टीका प्राप्त नहीं कर पाए हैं, ऐसे लाभार्थी कवरेज कम होने के मुख्य
कारण बनते है। इसके साथ टीकाकरण के संबंध में जन जागरूकता की कमी होना, क्षेत्र से पलायन करना, क्षेत्र में रिक्त उपस्वास्थ्य केन्द्र, प्रतिरोध होना, सत्र स्थल पर वैक्सीन एवं लॉजिस्टिक की
पर्याप्त ना होना, मोबिलाईजेशन की कमी होना, नियमित समीक्षा में कमी भी टीकाकरण कवरेज
कम होने के मुख्य कारण बनते है।
वैक्सीन रखने की बताई विधि :
प्रशिक्षण में वैक्सीन को सत्र स्थल पर रखने की सही विधि बताई गई। जिसमें
बताया गया कि सभी वैक्सीन को आइस पैक में रखना जरूरी नहीं होता है। सभी वैक्सीन को
रखने के अलग-अलग तरीके होते है। कुछ वैक्सीन को चार घंटे अंदर व कुछ वैक्सीन को 28 दिन तक कोल्ड चैन मेंटेन करते हुए उपयोग
किया जा सकता है। इस कारण इन वैक्सीन में समय व तारीख लिखना अनिवार्य होता है।
इसके साथ वैक्सीन वायल मॉनिटर की भी जानकारी दी। जिसमें बताया गया कि वैक्सीन वायल
मॉनिटर एक प्रकार के संकेतक होते है, जिससे स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को पता चलता है कि क्या टीके
का तापमान पूर्व निर्धारित सीमा से अअिधक हो गया है, जिसके बाद टीके का उपयोग नहीं किया जाना चाहिए।
सभी के शरीर में एक ही स्थान पर लगता है टीका :
बताया गया कि टीकाकरण के दौरान लगाए जाने वाले टीकों को हमेशा शरीर के एक खास
स्थान पर ही लगाया जाता है, जिससे एक समानता बनी रहे और जांचकर्ता को
या किसी अन्य को यह जांचने में मदद मिल सके कि टीका उस व्यक्ति को लगा है कि नहीं।
बच्चों के टीकाकरण की पोजिशन :
प्रशिक्षण में एएनएम और सुपरवाईजर को बच्चों को टीका लगाते समय बच्चे की
पोजिशन की जानकारी होनी चाहिए, जिससे बच्चों को
टीका लगाते समय कोई परेशानी ना हो। टीकाकरण की पोजिशन के लिए बताया कि बच्चों को
आलिंगन, खड़े होकर, स्वतंत्र स्थिति में टीका लगाया जा सकता है। आगे बताया कि
टीका लगाते समय अभिभावक की गोद में बच्चे का आराम पूर्वक बैठना, अभिभावक की गोद में सीधे होकर बैठना, पीठ के बल सपाट सतह पर लेटाना, किशोर या बच्चे को कुर्सी पर बिठाकर टीका
लगाया जा सकता है।
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