न्यायिक जांच कर षड्यंत्रकारी
शक्तियों पर प्रकरण दर्ज किये जाने की मांग
मण्डला। जिले के सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधिमंडल ने सोमवार को
महामहिम राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंप कर पश्चिम बंगाल में चुनाव उपरांत जेहादी
हिंसा पर त्वरित कार्यवाही की मांग की। ज्ञापन के माध्यम से जिले के प्रबुद्ध
नागरिकों तथा विभिन्न समाजों के प्रमुखों ने पश्चिम बंगाल में चुनाव उपरांत हो रही
जेहादी हिंसा के विषय में महामहिम राष्ट्रपति का ध्यानाकर्षित करते हुए उल्लेखित
किया कि विश्व के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश भारत में स्वतंत्रता के पूर्व से ही
निर्वाचन होकर जनप्रतिनिधियों तथा सरकारों का चयन होता रहा है। राजनैतिक मतभेद
आरोप प्रत्यारोपित, रैलियाँ,
सभाएं सब एक स्वस्थ परंपरा के अनुरूप होती रही हैं। विगत 70
वर्षों में केन्द्र से लेकर राज्य ग्राम पंचायतों तक के चुनाव
कुछ अपवादों को छोड़कर शांतिपूर्ण ही रहे हैं। वर्तमान परिप्रेक्ष्य में पश्चिम
बंगाल में चुनाव के दौरान तथा उपरांत हुई हिंसा ने पिछले सभी प्रतिमानों को ध्वस्त
करते हुए एक भयावह रूप ग्रहण कर लिया है। चुनाव परिणाम घोषित होने के तुरंत बाद
आरम्भ हुई यह हिंसा अबतक निरंतर जारी है।
3000 से अधिक गांवों के 70,000
लोग प्रभावित
पहले सप्ताह में ही 3000 से अधिक गांवों में हिंसक घटनाएं हुई हैं। जिनमें 70,000
लोग प्रभावित हुए हैं। 3886 मकान,
दुकान को क्षति पहुंची है। अनेक मकान तो बुलडोजर से ध्वस्त कर
दिये गये। तृणमूल कांग्रेस के जेहादी गुण्डों ने 39 महिलाओं
के साथ दुष्कर्म किया, इनमें से केवल 4 के साथ बलात्कार की पुष्टि हो पाई है क्योंकि शेष की पुलिस ने मैडिकल
जांच कराने से ही इंकार कर दिया। केवल सत्ताधारी पार्टी के विरोध में काम करने के
अपराध में 2157 कार्यकर्ताओं पर हमले हुए हैं। इन
कार्यकर्ताओं के 692 परिजनों पर भी प्राणघातक हमले हुए
हैं। 23 की हत्या अब तक दर्ज हुई है, इनमें से 11 एकदम निर्धन तथा अनुसूचित जाति व
जनजाति के हैं व 3 महिलाएं हैं। अपने व परिवार की सुरक्षा
के लिए 6779 कार्यकर्ता अभी बंगाल में ही अपना गांव व घर
छोड़ कर शरणार्थी शिविरों में रह रहे हैं। 1800 से अधिक
कार्यकर्ता आसाम में शरण लेने को विवश हुए हैं। इस सब घटनाओं में सबसे दुखद व
चिंताजनक इसका लक्षित व साम्प्रदायिक स्वरूप है साथ ही हिंसा को सत्ताधारी दल व
प्रशासन का खुला समर्थन है।
प्रभावित लोगों को मिले शीघ्र
न्याय
हम आपसे निवेदन करते हैं कि भारत की अखण्डता व
सम्प्रभुता को खतरे में डालने वाले इस घटनाक्रम पर स्वत: संज्ञान में लेते हुए
राज्यपाल अपने संवैधानिक अधिकार का उपयोग कर प्रदेश सरकार को निर्देशित करें कि वह
दोषियों के विरुद्ध कार्यवाही करें। प्रभावित लोगों को शीघ्र न्याय दिलवाने के
कार्य के साथ उचित मुआवजे की भी व्यवस्था करें। साथ ही भविष्य में ऐसी घटनाओं की
पुनरावृत्ति ना हो इस हेतु शीघ्र कठोर कदम उठाएं। हिंसा की सभी घटनाओं की
केन्द्रीय एजेंसी अथवा न्यायिक जांच हो। दोषियों तथा घटनाओं के पीछे लगी
षड्यंत्रकारी शक्तियों, संगठनों
तथा व्यक्तियों की पहचान कर उन पर प्रकरण दर्ज किये जायें। जिले के प्रबुद्ध
नागरिकों तथा विभिन्न समाजों के प्रमुखों ने ज्ञापन के माध्यम से महामहिम
राष्ट्रपति निवेदन किया कि कोई भी व्यक्ति, सम्प्रदाय या
राज्य देश के संविधान से ऊपर नहीं है। साथ ही यह भी अपेक्षा करते हैं कि संविधान
की मूल भावनाओं तथा देश की अखण्डता व सम्प्रभुता को खतरे में डालने वाले किसी भी
कृत्य को कठोरता के साथ रोका जाये।
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