पाले से फसल की सुरक्षा के लिए एडवाईजरी जारी - newswitnessindia

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Thursday, December 19, 2019

पाले से फसल की सुरक्षा के लिए एडवाईजरी जारी


मण्डला- उपसंचालक किसान कल्याण तथा कृषि विकास विभाग ने शीत ऋतु में पड़ने वाले पाले से फसल की सुरक्षा के लिए एडवाईजरी जारी कर दी है। जारी सुरक्षा उपाय के अंतर्गत रात में पाला पड़ने की संभावना होने पर रात 12 बजे से 2 बजे के आसपास खेत की उत्तरी पश्चिमी दिशा से आने वाली ठंडी हवा की दिशा में खेतों के किनारे पर बोई हुई फसल के आसपास मेढ़ों पर रात्रि में कूड़ा-कचरा, पैरा, घास, फूस जलाकर धुआं करना चाहिए, ताकि खेत में धुऐं के साथ-साथ वातावरण में गर्मी आ जाए। धुआं करने के लिए उपरोक्त पदार्थों के साथ क्रूड ऑयल का प्रयोग कर सकते हैं। इस विधि से 4 डिग्री सेल्सियस तापमान आसानी से बढ़ाया जा सकता है। पौधशाला के पौधों एव क्षेत्र वाले उद्यानों एवं नकदी फसल टाट को पौलीथीन अथवा धान की पूआल से ढक दें। वायुरोधी टाटियांे को हवा आने वाली दिशा की तरफ से बांधकर क्यारियों के किनारे पर लगाऐं तथा दिन में पुनः हटा दें। पाला पड़ने की संभावना होने पर खेत में सिंचाई करना चाहिए। नमी युक्त जमीन में काफी देर तक गर्मी रहती है तथा भूमि का तापमान कम नहीं होता। इस प्रकार पर्याप्त नमी नहीं होने पर शीत लहर व पाले से नुकसान की संभावना कम रहेगी। आवश्यक हो तो आलू व सरसों के खेत की भी सिंचाई कर दें। सर्दी में फसल की सिंचाई करने से 0.5 डिग्री से 2 डिग्री सेल्सियस तापमान बढ़ जाता है। दलहनी फसलों को पाले से बचाने के लिए बगल वाली खेत की सिंचाई कर दें। दलहनी फसलों की सीधे सिंचाई करने से फसल गिर सकती है। अगर फूल व पत्तियां गिर रही हैं तो किसान कल्याण तथा कृषि विभाग मंडला एवं कृषि विज्ञान केन्द्र मंडला के अधिकारियों से संपर्क करें एवं उनकी पत्तियों का सेंपल भी दिखाएं।
सामान्यतः पाले से फसलों को बचाने का आसान तरीका यही है। इस मौसम में गेहूं की फसल को सिंचाई की जरूरत है तो देर न करें, सिंचाई तुरंत करें। जिन दिनों पाला पड़ने की संभावना हो उन दिनों में फसल पर गंधक के घोल के 0.1 प्रतिशत घोल का छिड़काव करना चाहिए इसके लिए 1 लीटर गंधक के घोल को 100 लीटर पानी में घोलकर 1 हेक्टेयर क्षेत्र में स्प्रेयर से छिड़काव का 2 सप्ताह रहना है, यदि इस अवधि के बाद भी शीत लहर पाले की संभावना बनी रही तो सल्फर का छिड़काव 15-15 दिनों के अंतराल में दोहराते रहें। दीर्घकालीन उपाय के अंतर्गत फसलों को ठंड से बचाने के लिए खेत की उत्तरी पश्चिमी मेड़ों पर बीच-बीच में उचित स्थानों पर वायु अवरोधक पेड़ जैसे- शहतूत, शीशम, बबूल, जामुन आदि के पेड़ लगा दिये जायें तो पाले और ठंडी हवा के झोंको से फसल का बचाव हो सकता है।