किसान दिवस के अवसर पर कृषक संगोष्ठी का आयोजन - newswitnessindia

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Tuesday, December 27, 2022

किसान दिवस के अवसर पर कृषक संगोष्ठी का आयोजन

मंडला - कृषि विज्ञान केन्द्र मण्डला के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख डाॅ. के. व्ही. सहारे के मार्गदर्शन में केन्द्र के मृदा वैज्ञानिक डाॅ. आर पी अहिरवार ने राष्ट्रीय किसान दिवस के अवसर पर कृषक संगोष्ठी का आयोजन किया गया है जिसमे प्राकृतिक खेती के प्रचार प्रसार एवं जागरूकता हेतु प्राकृतिक खेती पर किसानों को विस्तार पूर्वक जानकारी दी। केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एंव प्रमुख डाॅ. के. व्ही. सहारे ने किसानों को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय किसान दिवस मनाने की आवश्कता क्यों पड़़ रही है इसके महत्व को बताया और चने एवं सरसों में कीट प्रबंधन पर जानकारी दी। केन्द्र के मृदा वैज्ञानिक डाॅ. आर पी अहिरवार ने प्राकृतिक खेती के महत्व प्राकृतिक खेती की आवश्यकता प्राकृतिक एवं जैविक खेती में अंतर को समझाते हुए प्राकृतिक खेती के मूल स्तम्भों जैसे बीजामृत, जीवामृत, अच्छादन, मल्चिंग एवं भापस की जानकारी दी साथ ही पंचगव्य, दशपर्ण, नीमास्त्र, ब्रम्हास्त्र एवं घन जीवामृत को कैसे बनाना है एवं कब और कैसे प्रयोग करना पर जानकारी दी। केन्द्र के पशुपालन वैज्ञानिक डाॅ. प्रणय भारती ने ठंडी के मौसम में पशुओं की देखभाल कैसे करनी है। 

पशुअहार का कब और कितना देना है, यह जानकारी दी। कृषक संगोष्ठी में आये कान्हा प्रोड्यूसर कम्पनी के प्रमुख रंजीत कछवाहा ने किसानों को जानकारी देते हुए बताया कि सब्जिया ंतो सभी उगाते है लेकिन उनको कैसे प्रीजर्ब करना है और कैसे उनसे प्रोडक्ट तैयार करना बताया है। कृषक दीदी लक्ष्मी भावरेे ने बताया कि पहले हम जैविक खेती करते थे अब जब से प्रशिक्षण लिया है तब से प्रकृतिक खेती भी शुरू की हॅंू, प्राकृतिक खेती करने के लिये कुछ बाजार से खरीदने की आवश्कता नही होती क्योकि अधिकांश सामग्री घर व कृषि कार्य पर ही उपलब्ध हो जाती है। जिससे खर्चा कम आता है बीजामृत बनाने के लिये गाय का गोबर 5 किलो, गौ मूत्र 5 लीटर, चूना 5 ग्राम बरगद या पीपल के नीचे की मिट्टी 150 ग्राम एवं पानी 20 लीटर सामग्री लगती है जिससे बीजामृत बनकर तैयार कर लेते है इसके प्रयोग बीज उपचार के लिये करते है। 

जीवामृत बनाने के लिये गाय का गोबर 10 किलोग्राम, गौमूत्र 10 लीटर, बेसन 2 किलो ग्राम, बरगद या पीपल के नीचे की मिट्टी 150 ग्राम एवं गुड़ 2 किलोग्राम का प्रयोग करके सभी सामग्री को 200 लीटर वाले प्लास्टिक ड्रम में 200 लीटर पानी में तैयार कर लेते है फिर सिचाई के पानी के साथ एक एकड़ में प्रयोग करते है जिससे पोषक तत्वों की पूर्ती हो जाती है। कृषक संगोष्ठी में कुल 152 कृषकों एवं कृषक दीदीयों ने भाग लिया साथ ही रिलाइंस फाउंडेशन से ईश्वर प्रसाद कान्हा प्रोड्यूसर से रंजीत कछवाहा एवं एन आर एल एम से संगीता अग्रवाल तथा आसा संस्था से विपिन पटेल का कार्यक्रम को सफल बनाने मे योगदान रहा। कृषक संगोष्ठी में केन्द्र के वैज्ञानिकों एवं विभागों के कर्मचारियों सहित कुल 161 संख्या रही।

 

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