विवाह इस प्रकृति का सबसे महत्वपूर्ण नियम है। भगवान द्वारा बनाए गए जब स्त्री व पुरुष का सामाजिक रूप से मिलान होता है उस प्रक्रिया को विवाह कहते हैं। शादी सिर्फ हिंदू धर्म का ही नहीं बल्कि हर धर्म का बड़ा संस्कार है। जिसे संपन्न कराने के लिए विशेष मुहूर्त का निर्धारण किया जाता है। ज्योतिषी भी बेहतर परिणाम के लिए हर शुभ कार्य को मुहूर्त अनुसार करने की सलाह देते है। हिन्दू धर्म में पंडित विवाह का शुभ मुहूर्त वर-वधु की कुंडली, ग्रहों की चाल और राशि के आधार पर निकालते हैं। वर और वधु की कुंडली मिलान करवाने के बाद जो तिथि व मुहूर्त तय किया जाता है उसी को शादी का शुभ मुहूर्त कहते हैं। ऐसी मान्यता है कि शादी में जितनी महत्वपूर्ण परंपराएं होती हैं उतना ही महत्वपूर्ण मुहूर्त भी होता है।
विवाह मुहूर्त की आवश्यकता
आधुनिकता का चोला ओढ़े आजकल कई लोग शादी करने के लिए शुभ मुहूर्त कम ही निकलवाते हैं। इन लोगों को लगता है कि हर दिन शुभ है और हर कार्य शुभ है। जबकि इस मानसिकता के चलते कई बार लोगों को भारी नुकसान भी उठाना पड़ता है। ज्योतिषशास्त्रों का मानना है कि शुभ मुहूर्त पर विवाह संपन्न कराने से शादीशुदा जोड़ा हमेशा खुश रहता है। इतना ही नहीं शुभ मुहूर्त का प्रभाव तो इतना होता है कि लड़की ताउम्र सुहागन रहती है। इसलिए विवाह जैसा सर्वोच्च संस्कार मुहूर्त के अनुसार ही कराना अनिवार्य होता है।विवाह के शुभ मुहूर्त का महत्व
समाज की वृद्धि के लिए स्त्री पुरुष का विवाह होना बेहद आवश्यक है। शादी के वक्त मुहूर्त निकालने के लिए पंडित जोड़े की कुंडली मांगते हैं। यदि शादी शुभ मुहूर्त पर की जाती है तो ये देखा गया हैं कि जोड़े का पारिवारिक जीवन अच्छा व्यतीत होता है, आपस में काफी अच्छी बनती है, और लड़की को ससुराल में प्यार मिलता है आदि। शायद यही कारण है कि विवाह के लिए कुंडली मिलान से लेकर सात फेरे लेने तक सब चीज के लिए शुभ मुहूर्त निकलवाया जाता है।
शुभ विवाह का ज्योतिषी तथ्य
- विवाह बहुत ही गंभीर और संवेदनशील विषय है, इसलिए इसमें किसी भी प्रकार की जल्दबाजी और लापरवाही नहीं करनी चाहिए।
- वैसे तो शादी के लिए मुहूर्त तय करने का कोई खास मापदंड नहीं हैं लेकिन लड़की और लड़के की कुंडली के मुताबिक ग्रहों और नक्षत्रों की चाल को देखते हुए ही ये मुहूर्त निकालना अनिवार्य होता है।
- कई बार लोग जल्दी शादी कराने के चक्कर में ग्रहों, नक्षत्रों और अन्य दोषों को नजरअंदाज कर देते हैं, जो कतई नहीं करना चाहिए।
शुभ विवाह मुहूर्त निकालते वक़्त इन बातों का रखें ध्यान
- लड़की के ग्रह लड़के से भारी नहीं होने चाहिए, इसलिए कुंडली मिलान जरूर करें।
- यदि लड़की की उम्र लड़के से ज्यादा होगी तो यह उनकी होने वाली संतान के लिए अच्छा नहीं माना जाता है।
- यदि कोई व्यक्ति मांगलिक है तो उसकी शादी मांगलिक से ही कराना उचित होता है।
- विवाह वाले दिन भावी जोड़े को मीट, अण्डे आदि का सेवन नहीं पर्ण चाहिए।
- विवाह मुहूर्त किसी अनुभवी ज्योतिषी या पुरोहित से ही निकलवाना चाहिए।
विवाह के आगामी शुभ मुहूर्त
8 नवंबर | शुक्रवार | एकादशी | उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र में | 12:24- 30:39 बजे तक |
9 नवंबर | शनिवार | द्वादशी | उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र में | 06:39 - 10:14, 11:26 - 14:55 बजे तक |
रेवती नक्षत्र में | 14:55 - 30:40 बजे तक | |||
10 नवंबर | रविवार | त्रयोदशी | रेवती नक्षत्र में | 06:40 - 16:30 बजे तक |
अश्विनी नक्षत्र में | 18:06 - 30:41 बजे तक | |||
11 नवंबर | सोमवार | चतुर्दशी | अश्विनी नक्षत्र में | 06:41 - 10:48 बजे तक |
13 नवंबर | बुधवार | प्रतिपदा | रोहिणी नक्षत्र में | 22:00 - 30:43 बजे तक |
14 नवंबर | गुरुवार | द्वितीया | रोहिणी नक्षत्र में | 06: 43 - 25:11 बजे तक |
19 नवंबर | मंगलवार | सप्तमी | मघा नक्षत्र में | 22:10 - 30:48 बजे तक |
20 नवंबर | बुधवार | अष्टमी | मघा नक्षत्र में | 06:48 - 19:17 बजे तक |
21 नवंबर | गुरुवार | नवमी | उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में | 18:29 - 22:17 बजे तक |
22 नवंबर | शुक्रवार | दशमी | उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में | 09:01 - 16:41 बजे तक |
हस्त नक्षत्र में | 16:41 - 30:50 बजे तक | |||
23 नवंबर | शनिवार | द्वादशी | हस्त नक्षत्र में | 06:50 - 14:44 बजे तक |
चित्रा नक्षत्र में | 14:44 - 27:43 बजे तक | |||
28 नवंबर | गुरुवार | द्वितीया | मूल नक्षत्र में | 08:22 - 16:18, 18:18 - 30:55 बजे तक |
29 नवंबर | शुक्रवार | तृतीया | मूल नक्षत्र में | 06:55 - 07:33 बजे तक |
30 नवंबर | शनिवार | चतुर्थी | उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में | 18:05 - 23:14 बजे तक |
1 दिसंबर | रविवार | पंचमी | श्रवण नक्षत्र में | 11:29 - 30:57 बजे तक |
2 दिसंबर | सोमवार | षष्ठी | श्रवण नक्षत्र में | 06: 57 - 11:43 बजे तक |
धनिष्ठा नक्षत्र में | 11:4 3 - 13:37, 17:13 - 30:58 बजे तक | |||
3 दिसंबर | मंगलवार | सप्तमी | धनिष्ठा नक्षत्र में | 06:58 - 14:16 बजे तक |
7 दिसंबर | शनिवार | एकादशी | रेवती नक्षत्र में | 17:03 - 19:35 बजे तक |
8 दिसंबर | रविवार | एकादशी | अश्विनी नक्षत्र में | 08:29 - 17:15 बजे तक |
10 दिसंबर | मंगलवार | त्रयोदशी | रोहिणी नक्षत्र में | 29:57 - 31:04 बजे तक |
11 दिसंबर | बुधवार | चतुर्दशी | रोहिणी नक्षत्र में | 07:04 - 10:59, 22:54 - 31:04 बजे तक |
12 दिसंबर | गुरुवार | पूर्णिमा | मृगशिरा नक्षत्र में | 07:04 - 30:18 बजे तक |
ज्योतिषाचार्य
पंडित दया शंकर मिश्रा
9300049887
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