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जिला अस्पताल की नर्सिंग ऑफिसर ने कलेक्टर को
सौंपा ज्ञापन |
मंडला - मप्र के अन्य जिलों के साथ शुक्रवार से मंडला जिले की सभी नर्सिंग ऑफिसर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चली गई है। इसी कड़ी में शुक्रवार को जिला अस्पताल की नर्सिंग ऑफिसर हड़ताल शुरू करने से पहले सभी ने कलेक्ट्रेट पहुंचकर जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा। नर्सिंग ऑफिसर के हड़ताल पर चले जाने से जिला अस्पताल समेत सभी विकसखंडों में संचालित सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रो की स्वास्थ्य व्यवस्था गड़बड़ा गई है। नर्सिंग ऑफिसर के हड़ताल पर चले जाने से संविदा नर्सिंग स्टाफ ने मोर्चा संभाला है। बताया गया कि देश के अन्य राज्यों में नर्सिंग ऑफिसर को द्वितीय श्रेणी में रखा गया है। मध्यप्रदेश एक ऐसा राज्य है, जहां नर्सिंग ऑफिसर को तृतीय श्रेणी में रखा गया है। नर्सिंग ऑफिसर की प्रमुख मांग है कि देश के अन्य राज्यों की तरह इन्हें द्वितीय श्रेणी में रखा जाए और उसके फायदे दिए जाएं। इसी के विरोध में प्रदेश के अन्य जिलों के साथ मंडला जिले के लगभग 263 नर्सिंग ऑफिसर ने अनिश्चतकालीन हड़ताल शुरू कर दी है।
मरीजों की बढ़ेगी परेशानी :
नर्सिंग ऑफिसर स्टाफ के हड़ताल पर चले जाने से अस्पताल में मरीजों को
भारी परेशानी का सामना करना पढ़ेगा। जिला अस्पताल समेत सभी विकासखंडों में कार्यरत
नर्सिंग ऑफिसर 250 से ऊपर
पदस्थ है। इनके हड़ताल पर जाने से शासकीय अस्पतालों की स्वास्थ्य व्यवस्थाएं चरमरा
जाएंगी। शासकीय अस्पतालों में नर्सिंग स्टाफ कम हो जाने से मरीजों और परिजनों को
भी परेशानी का सामना करना पड़ेगा।
संविदा स्वास्थ्य कर्मिंयों के हवाले व्यवस्था :
जिले की नर्सिंग ऑफिसर के हड़ताल से मरीजों को परेशानी का सामना करना
पड़ेगा। नर्सिंग स्टाफ के हड़ताल पर चले जाने के बाद जिला अस्पताल में संविदा
स्वास्थ्य कर्मियों से व्यवस्था बनाए रखने का प्रयास किया जा रहा है। हालांकि
संविदा स्वास्थ्य कर्मियों की संख्या कम होने के चलते थोड़ी बहुत परेशानी इनके
सामने आएगी, लेकिन
गंभीर केस और इमजेंसी सेवाओं के लिए स्टाफ को तैनात किया जाएगा।
नर्सिंग ऑफिसर की ये हैं मांगे :
नर्सिंग संवर्ग के वेतन विसंगति को दूर कर अन्य अन्य प्रदेशों की
भांति सेकेंड ग्रेड दिया जाए। पंदनाम नर्सिंग ऑफिसर वेतनमान ग्रेड-पे 2800 से बड़ा
कर ग्रेड-पे 4200 किया जाए, सीनियर नर्सिंग ऑफिसर, ट्यूटर की ग्रेड-पे 3600 बढ़ा कर
ग्रेड पे 4600 किया जाए, मेट्रन ग्रेड पे 4200 से बढ़ा
कर 4800 किया
जाए। रात्रि कालीन आकस्मिक चिकित्सा भत्ता स्वास्थ्य विभाग के चिकित्सकों को पांच
सौ प्रति रात्रि दिया जाता है जबकि इनके साथ संलग्न नर्सेस व अन्य पैरामेडिकल
कर्मचारीयों को भी 300 रुपये
प्रति रात्रि आकस्मिक चिकित्सा भत्ता दिया जाए। प्रदेश के चिकित्सा शिक्षा विभाग
में स्वशासी अधिकारी कर्मचारियों के वर्ष 2018 के भर्ती नियमों में संशोधन किया जाये साथ ही
भर्ती नियमों में संशोधन करते समय एसोसिएशन के प्रतिनिधियों का सुझाव लिया जाए।
ग्वालियर और रीवा मेडिकल कॉलेज में जीएनएम नर्सिंग को तीन और बीएससी नर्सिंग को
चार वेतन वृद्धि दी गई है, जबकि
अन्य मेडिकल कॉलेजों में नहीं दी गई है। विभाग द्वारा सौतेला व्यवहार किया गया है।
ग्वालियर और रीवा मेडिकल कॉलेज की भांति अन्य शेष मेडिकल कॉलेज के नर्सिंग ऑफिसर
को तीन और चार वेतन वृद्धि दी जाए।
नर्सिंग स्टूडेंट का स्टॉयफंड 3000 रु. से बढ़ाकर 8000 रु. किया जाए। नर्सिंग संवर्ग की पदोन्नति हेतु जब तक माननीय न्यायालय में निर्णय विचाराधीन है। ऐसी स्थिति में विभाग द्वारा पदोन्नति पद पर प्रभार के तौर पर प्रभारी बनाया जाए। नर्सिंग ट्यूटर के पद सृजित किए जाए। स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग अंतर्गत संचनालय स्तर पर सहायक संचालक का पद सृजित है जो नर्सिंग संवर्ग का है वर्तमान में अन्य के डर से कार्य कराया जा रहा है जो अनुचित है सहायक संचालक के पद पर नर्सिंग संवर्ग से ही कार्य कराया जाना चाहिए। प्रदेश के चिकित्सा शिक्षा विभाग में स्वसाशी अंतर्गत कार्यरत कर्मचारी को सातवें वेतनमान का लाभ जनवरी 2016 से दिया जाना चाहिए। शासकीय सेवा में सीधी भर्ती में तृतीय और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के पदों पर चयन होने पर तीन वर्ष की परिवीक्षा अवधि एवं 70 प्रतिशत 60-प्रतिशत 90 प्रतिशत मानदेय नियम को निरस्त कर पूर्व की भांति यथावत रखा जाए। पुरानी पेंशन (ओपीएस) पूर्व की भांति लागू की जाए। इन मांगों को लेकर आज से चरणबद्ध आंदोलन किया जा रहा है।
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