रिपोर्ट - प्रहलाद कछवाहा
मंडला - सिंदूर जिसे कुमकुम के नाम से भी जाना जाता है। इसे मुख्य रूप से विवाह का प्रतीक माना जाता है। माना जाता है कि हिंदू शादी की रस्म तभी पूरी होती है जब वर मंडप में वधु की मांग में सिंदूर लगता है। सिंदूर को विवाह का प्रतीक माना जाता है। विवाहित महिलाएं अपने माथे के बीच से सिर के मध्य तक बालों के बीच में सिंदूर लगाती हैं। दरअसल यह प्रथा सदियों से चली आ रही है और मांग में सिंदूर लगाना सुहागिनों के मुख्य श्रृंगार में से एक माना जाता है। अधिकांश हिंदू विवाह समारोहों में सिंदूर लगाने की रस्म सबसे महत्वपूर्ण रीति-रिवाजों में से एक होती है और शादी के बाद भी सिंदूर लगाने के नियम होते हैं जिसे हर एक सुहागिन स्त्री ध्यान में रखती है।
जानकारी अनुसार सिंदूर का धार्मिक महत्व भी है और इसे लगाने से महिलाओं की खूबसूरती भी बढ़ जाती है। वहीं महिलाओं के अभूषणों में सिंदूर का भी अपना एक महत्वपूर्ण स्थान है। यदि यह सिंदूर प्राकृतिक द्वारा बनाया गया है तो उससे नुकसान नहीं होता है, लेकिन डुप्लीकेट सिंदूर है तो इसका नुकसान महिलाओं को होता है। जिससे महिलाओं को स्किन एलर्जी भी हो जाती है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि बाजार में मिलने वाला सिंदूर केमिकल युक्त होता है और इससे बालों और त्वचा दोनों को ही नुकसान पहुंचता है। ऐसे में महिलाओं के पास जब कोई विकल्प ही नहीं बचता, तो वह केवल खास अवसरों पर ही अपनी मांग को सिंदूर से भरती हैं। मगर जिन महिलाओं को सिंदूर लगाने का शौक है, वह घर पर ही अपने लिए कुदरती चीजों से सिंदूर बना सकती हैं।
बता दे कि हमारे देश में शिक्षा, स्वास्थ्य, औद्योगीकरण, रोजगार, नगरीकरण के क्षेत्र में वृद्धि होने के साथ ही समाज में सामाजिक-राजनीतिक चेतना विकसित हो रही है, उसके सापेक्ष महिलाएं भी अब आत्मनिर्भर हो रही है। जिले में संचालित संस्थाएं, समूह ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं को जोड़कर उन्हें आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिए हमेशा प्रयायरत है। इनके ये प्रयास भी सफल हो रहे है, अब महिलाएं आत्म निर्भर होकर अपने परिवार का पालन पोषण करने में सक्षम है। जिले में संचालित उद्योगिनी संस्था महिलाओं को आत्म निर्भर बनाने के लिए हमेशा तत्पर है। संस्था द्वारा विविध प्रकार से महिलाओं को आर्थिक मदद के लिए उन्हें आत्म निर्भर बना रही है।
महिलाएं हर्बल सिंंदूर के लगा रही पौधे :
उद्योगिनी संस्था के स्टेट मैनेजर विवेक जैन ने बताया कि महिलाओं को सशक्त और आत्म निर्भर बनाने के लिए संस्था द्वारा एक पहल की गई है। जिसमें महिलाओं को हर्बल सिंंदूर की जानकारी दी गई। उन्हें बताया गया कि अपने घर पर ही सिंदूर का पेड़ लगाकर अतिरिक्त आय अर्जित कर सकते है। जिससे आर्थिक मदद मिलेगी और परिवार के भरण पोषण में महिलाओं का सहयोग रहेगा। उद्योगिनी संस्था द्वारा ग्राम में बनाए गए सरस्वती समूह की महिलाओं को सिंदूर के कुछ पौधे विगत दिवस वितरित किए थे, जो महिलाओं ने अपने घरों में लगाए। अब यह सिंदूर का पौधा पेड़ बन गया है, इसमें सिंदूर के फल भी आ गए है। अब इससे सिंदूर बनाने की प्रक्रिया महिलाएं शुरू कर दी है।
स्टार्टटप में उत्तराखण्ड से मिला आर्डर :
कलस्टर कोआर्डीनेटर महिमा मरावी ने बताया कि इसी वर्ष नारायणगंज ब्लाक की सरस्वती समूह की महिलाओं द्वारा सिंदूर बनाने की तैयारी की है। संस्था द्वारा दिए गए सिंदूर के पौधे अब परिपक्क हो चुके है, अब महिलाएं इससे सिंदूर निकालकर खुले बाजार में भी विक्रय करेंगी। वहीं इस सरस्वती समूह की महिलाओं को उत्तराखंड की उद्योगिनी संस्था ने इस वर्ष 20 किलो हर्बल सिंदूर की डिमांड की है, जो संस्था इसे समूह की महिलाओं से 200 रूपए किलो के हिसाब से खरीदेगी।
आदिवासी महिलाएं बना रही सिंदूर :
बता दे कि मंडला, नारायणगंज क्षेत्र की आदिवासी महिलाएं अब आत्मनिर्भर होकर अपना जीवन यापन कर रही है। उद्योगिनी संस्था के सहयोग से नारायणगंज ब्लाक में बनार ग्राम की 10 आदिवासी महिलाओं ने एक सरस्वती समूह बनाया है। जिसमें सभी 10 महिलाएं साथ मिलकर कार्य कर रही है। इस वर्ष सरस्वती समूह की महिलाओं ने सिंदूर के पेड़ लगाए थे, जो इस वर्ष उनके द्वारा बनाए जा रहे सिंदूर को उत्तराखंड की संस्था द्वारा शुरूआती दौर में खरीदी जा रहा है। जिससे महिलाओं में खासा उत्साह है।
अब मेंहदी की भी हो गई तैयारी :
उद्योगिनी संस्था के स्टेट मैनेजर विवेक जैन ने बताया कि नारायणगंज क्षेत्र की एक और समूह ने हर्बल मेंहदी की तैयारी कर ली है। इस समूह में भी 10 महिलाएं है, जो इस हर्बल मेंहदी को बनाने का कार्य करेंगी। इस हर्बल मेंहदी की कीमत समूह द्वारा 500 रूपए किलो रखी गई है। इस हर्बल मेंहदी को समूह की महिलाएं स्थानीय बाजार में विक्रय करेंगी।
इनका कहना है
अब महिलाओं की आर्थिक स्थिति में सुधार आ रहा है, महिलाएं आत्मनिर्भर हो गई है। इनके द्वारा बनाए गए उत्पाद अब प्रदेश के बाहर भी जा रहे है, साथ ही स्थानीय बाजार में इनके उत्पाद की खासी मांग है। अभी हाल ही मे सरस्वती समूह की महिलाओं ने सिंदूर बनाया है, जो उत्तराखंड भेजा जा रहा है।
विवेक जैन, स्टेट मैनेजर, उद्योगिनी संस्था
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