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नगर में निकाली गई विशाल शोभायात्रा |
मंडला - नर्मदा तट पर स्थित महंत वाला स्थित प्रमोद गुरु बालापीर नाम साहब की जिंदा समाधि स्थल से नगर के प्रमुख मार्गो से होते हुए हजारों की संख्या में कबीरपंथी अनुयायियों की विशाल शोभा यात्रा शुक्रवार को निकाली गई। जो बड़ चौराहा, बस स्टैंड, लालीपुर चौक, बंजर चौक, तहसील, उदय चौक होते महंत वाडा में आकर संध्या कालीन संध्या आरती चौका आरती के साथ संपन्न हुई।
नगर में समाजसेवी द्वारा जगह-जगह फल वितरण कर फूल मालाओं से कबीर पंथी संत महंतों का स्वागत किया गया। आयोजक सहयोगी प्रमोदगुरु बाला पीर साहब नवयुवक मंडल से रामदास बैरागी के द्वारा प्राप्त जानकारी के अनुसार मंडला जिले ही नहीं बल्कि मध्य प्रदेश के अलावे अन्य राज्यों से भी कबीर पंथ अनुयायियों का आगमन प्रकटोत्सव मनाने तीर्थ के रूप में हुआ।
सैकड़ों कलश सिर पर लिए महिलाएं, बच्चियां और हाथ में कबीर पंथ का झंडा और ध्वज थामे वर्ग और बच्चे मंगल गीतों के साथ शोभायात्रा में बैंड बाजे और डीजे की धुन पर खूब थिरकते नहीं थके। सभी सोलह वंश गुरुओं के चित्र भी प्रदर्शनी के रूप में शोभा यात्रा में सामिल रहे। महंतवाड़ा मठाधीश महंत मंधारी दास जी गुरु गद्दी रथ पर सवार शोभायात्रा में सभी को आशीर्वाद देते रहे।
समाज सेवी कबीरपंथी पीडी खैरवार ने बताया है, कि गोंड राजा काल गोंडवाना राज्य के गोंड राजा ने कबीर पंथ के चौथे वंश गुरु प्रमोद गुरु बालापीर को सत्रहवी सदी में मंडला नगर नर्मदा तट पर चौदह एकड़ भूमि दान में दी गई थी। भूमि दान में देने के पीछे कारण यह भी बताया जाता है, कि तत्कालीन राजा की एकमात्र संतान की मृत्यु बाल्यावस्था में ही हो गई। जिसको लेकर राजा रानी अत्यंत दुखी थे। यह देखकर भारत भ्रमण पर निकले कबीर पंथी संत प्रमोदगुरु बाला पीर साहब ने अपनी आध्यात्मिक शक्ति के बल पर बालक को जीवित कर दिखाया।
राजा रानी अपने पुत्र को जीवित पाकर खुशी से भर गये और संत को चौदह एकड़ भूमि दान में देते हुए यहीं पर निवास करने का आग्रह किया। चौथे वंश गुरु ने यहां पर रहते हुए अंत में जीवित रहते हुए यहीं पर समाधि भी ले लिए। जो समाधि आज भी महंतवाड़ा में है। तब से इस स्थान को प्रमोदगुरु बाला पीर जिंदा समाधि नाम से संपूर्ण भारत देश में जाना जाता है। संपूर्ण भारत देश के कबीर पंथी अनुयायियों के द्वारा आज भी सोलहवें गुरु उदित मुनि नाम साहब के काल तक भी इस आश्रम में सत्य के पंथ कबीर पंथ को बढ़ावा दिया जा रहा है। बैशाख मास की पूर्णिमा को हर साल यह उत्सव मनाया जाता है।
शुक्रवार को सुबह से गुरु पूर्णिमा पाठ, समाधि स्थल दर्शन, भोजन भंडारा, शोभायात्रा और शाम को संध्या आरती चौका आरती और भजन माला सहित तमाम आध्यात्मिक आयोजन के साथ बड़े ही धूमधाम से प्रमोद गुरु बालापीर नाम साहेब का प्रकट उत्सव मनाया गया। इसमें मुख्य रूप से कबीर वंश अनुयायी समिति, आमिन माता महिला मंडल के आयोजन में कबीर पंथ प्रमोदगुरु बाला पीर नाम नवयुवक मंडल का सहयोग रहा साथ ही जगह-जगह से कबीरपंथी अनुयायियों का सहयोग इस आयोजन में मुख्य रूप से मिला। महंतवाड़ा आश्रम से जुड़े समस्त कबीर पंथियों की अपील है, कि इसी तरह हमेशा इस तरह के अध्यात्म को बढ़ावा देने वाले उत्सव आयोजनों में अन्य समुदाय के लोग भी बढ़ चढ़कर हिस्सा लें।
इस विशाल आयोजन में महंतवाड़ा आश्रम के मठाधीश महंत मंधारी दास जी, क्षेत्र के समस्त संत महंत दीवान, मनोज बैरागी एवं राम दास बैरागी, एड.धर्मेंद्र धार्या, जेडी पिटनिया, बसोरीदास सोनवानी, राकेश धार्वैया, रूपेश बैरागी, कविंद्र बैरागी, रवि बघेल, राहुल, गणेश बैरागी, दीपमणी खैरवार, दीपक बैरागी, रोहित बैरागी सहित सैकड़ों की संख्या में नवयुवकों का सहयोग सराहनीय रहा।
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