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Tuesday, March 1, 2022

मेरा शिव भोला भाला


लिए शिव हाथ में डमरू

गले में नाग काला है

लिए शिव हाथ में त्रिशूल

गले में विष डाला है

लिए संग गौरा रानी को

मेरा शिव भोला भाला है

लपेेटे भस्म देह पर 

गले में रूद्र की माला है

कैलाश पति त्रिपुरारी ने 

नंदी को पाला है

धूनि रमाये कैलाश पर

बिछाए मृगछाला है

जटाओं में भरकर

गंगा को पृथ्वी पर उतारा है

ध्यान मग्न होकर 

शीश पर चन्द्र विराजा है

विशाल त्रिपुण्ड मनोहर

मेरे शिव का रूप निराला है

जगत का पालन हार 

मेरा शिव सबका प्यारा है

शिव आदि है, अंत है

विश्व का भार संभाला है

रचना - श्रीमती राधा दुबे, जबलपुर मध्य प्रदेश

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