प्रबंधक ने कहा सिर पटक लो लेकिन अब नहीं मिलेगा गहना, महिला ने सिटी कोतवाली में दर्ज कराई शिकायत
मण्डला। लॉक डाउन में बड़ी संख्या में लोगों की नौकरी चली गई, जिनका व्यवसाय
था उनका व्यवसाय ठप हो गया। ऐसी स्थिति में कई लोगों को जरूरी खर्च चलाने के लिए
घर में रखे जेवरों को गिरवी रखना पड़ा तो कई लोगों ने अपने रिश्तेदारों, मित्रों से
उधार लेकर जरूरी खर्च पूरे किए। इन सबके बाद अब ऐसे में मामले भी सामने आने लगे
हैं जिनमें बैंकों द्वारा आसान लोन के नाम पर हितग्राहियों के साथ धोखाधड़ी का काम
किया गया है। गुरूवार को एक ऐसा ही मामला सामने आया जिसमें एक महिला को उसकी
जानकारी के बगैर ही उसके द्वारा रखे गए जेवरों की नीलामी करा दी गई।
क्या है मामला
देवदरा निवासी पीड़िता उषा घसिया ने बताया कि
उन्होंने करीब एक साल पड़ाव स्थित आईआईएफएल फायनेंस लिमिटेड मंडला में करीब 9 ग्राम सोने का
हार गिरवी रखा इसके बदले उन्हें बैंक से करीब 28 हजार रूपये मिले। पीड़िता ने बताया कि
उन्होंने तबसे अब तक बैंक द्वारा निर्धारित ब्याज की राशि समय-समय में जमा कराती
रही हैं। जिसकी जरूरी रसीद भी उनके पास है, पीड़िता ने बताया कि जब ब्याज की पूरी राशि
जमा करने के बाद वे बैंक पहुंची तो यहां मैनेजर ने उन्हें बताया कि उनके द्वारा
गिरवी रखे गए हार की नीलामी करा दी गई है।
सिर्फ फोन पर हुई बात के आधार पर कराई गई नीलामी
जब इस संबंध में बैंक के प्रबंधक से बात की गई तो
उनका था कि महिला से कई बार उनके मोबाईल नंबर पर संपर्क किया गया कि वे जरूरी राशि
बैंक में समय रहते जमा करा दें लेकिन पहले तो उन्होंने फोन ही नहीं उठाया इसके बाद
एक दिन जब महिला ने फोन उठाया तो और उनसे बकाया राशि जमा करने की बात कही गई और
बताया गया कि यदि समय में वे राशि जमा नहीं कराती हैं तो उनके द्वारा रखे गए जेवर
की नीलामी करा दी जाएगी तो महिला ने मोबाईल पर ही कह दिया कि वे नीलामी करा दें।
हालांकि महिला का कहना है कि उन्होंने बैंक के किसी कर्मचारी से जेवर की नीलामी के
बारे में नहीं कहा।
अब सवाल यह उठता है कि जब महिला द्वारा समय में
ब्याज की राशि जमा नहीं कराई गई तो बैंक प्रबंधन ने महिला को लिखित में नोटिस जारी
करना जरूरी क्यों नहीं समझा और महिला की बगैर जानकारी उनके द्वारा रखी गई धरोहर की
नीलामी करा दी गई।
फार्म में अंग्रेजी में जरूरी निर्देश
हाल में ही संपूर्ण भारत देश में हिन्दी दिवस मनाया
गया और हिन्दी को बढ़ावा देने की बात कही गई वहीं दूसरी ओर आज भी कई बैंकों, सरकारी
संस्थाओं, कार्यालयों
में दस्तावेजों में अंग्रेजी भाषा का उपयोग किया जा रहा है। पीड़ित महिला ने यह भी
बताया कि उनके द्वारा जेवर गिरवी रखने के बाद जो बैंक द्वारा जरूरी दस्तावेजों की
प्रक्रिया पूरी कराई गई उसमें पूरी तरह अंग्रेजी का उपयोग किया गया जबकि महिला
अंग्रेजी समझ पाने में सक्षम नहीं है।
प्रबंधन ने कहा मीडिया नो अलाउ
महिला द्वारा आपबीती बताने पर जब कुछ मीडियाकर्मी
बैंक पहुंचकर बैंक प्रबंधन का पक्ष जानने पहुंचे तो यहां तैनात कर्मचारियों ने गेट
में आकर मीडियाकर्मियों को यह कहते हुए अंदर आने से मना कर दिया कि बैंक में
मीडिया कर्मियों का प्रवेश वर्जित है। यह पूरा मामला यह दिखा रहा है कि इस तरह
आदिवासी बाहुल्य मंडला जिले में फाईनेंस, उधार देने, आसान गोल्ड लोन के नाम पर किस तरह लोगों के
साथ धोखा किया जा रहा है।
इनका कहना है।
महिला ने गोल्ड लोन लिया था। महिला से उनके मोबाईल
पर संपर्क किया गया था जिसमें उन्होंने जेवर को नीलाम कर देने की बात कही थी जिसके
बाद उनके द्वारा रखे गए जेवर को नीलाम कराया गया है।
विक्रांत सैनी
प्रबंधक, आईआईएफएल फाइनेंस लि. मंडला
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