(नई दिल्ली) राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने निर्भया
गैंगरेप केस के चारों दोषियों में से एक विनय शर्मा की दया याचिका खारिज कर दी।
इससे पहले दोषी मुकेश सिंह ने भी दया याचिका दाखिल की थी जिसे राष्ट्रपति ने 17 जनवरी को खारिज कर दिया था।
कोर्ट ने दोषियों की फांसी पर लगाई
रोक
बता दें कि निर्भया केस के चारों दोषियों को 1 फरवरी को फांसी दी जानी थी, लेकिन दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने दोषियों के डेथ वारंट को अगले आदेश तक स्थगित कर उनकी फांसी पर रोक लगा दी। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश धमेंद्र राणा ने चारों दोषियों की अर्जी पर यह आदेश जारी किया। चारों दोषियों ने एक फरवरी को उन्हें फांसी देने पर रोक लगाने की मांग की थी।
दूसरी बार फांसी की तारीख टाली गई
मुकेश कुमार सिंह (32), पवन कुमार गुप्ता (25), विनय कुमार मिश्रा (26) और अक्षय कुमार (31) को एक फरवरी को सुबह छह बजे फांसी दी जानी थी। दूसरी बार डेथ वारंट की तय तारीख टाली गई है। पहली बार सात जनवरी को चारों दोषियों को 22 जनवरी को फांसी देने का डेथ वारंट जारी किया गया था। इस पर 17 जनवरी को स्थगन दिया गया था। उसी दिन फिर उन्हें एक फरवरी को फांसी देने के लिए दूसरा वारंट किया गया जिस पर शुक्रवार को रोक लगा दी गई।
बता दें कि निर्भया केस के चारों दोषियों को 1 फरवरी को फांसी दी जानी थी, लेकिन दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने दोषियों के डेथ वारंट को अगले आदेश तक स्थगित कर उनकी फांसी पर रोक लगा दी। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश धमेंद्र राणा ने चारों दोषियों की अर्जी पर यह आदेश जारी किया। चारों दोषियों ने एक फरवरी को उन्हें फांसी देने पर रोक लगाने की मांग की थी।
दूसरी बार फांसी की तारीख टाली गई
मुकेश कुमार सिंह (32), पवन कुमार गुप्ता (25), विनय कुमार मिश्रा (26) और अक्षय कुमार (31) को एक फरवरी को सुबह छह बजे फांसी दी जानी थी। दूसरी बार डेथ वारंट की तय तारीख टाली गई है। पहली बार सात जनवरी को चारों दोषियों को 22 जनवरी को फांसी देने का डेथ वारंट जारी किया गया था। इस पर 17 जनवरी को स्थगन दिया गया था। उसी दिन फिर उन्हें एक फरवरी को फांसी देने के लिए दूसरा वारंट किया गया जिस पर शुक्रवार को रोक लगा दी गई।
निर्भया की मां आशा देवी का गुस्सा फूटा
वहीं, दोषियों की फांसी बार-बार टलने से निर्भया की मां आशा देवी का
गुस्सा फूटा है। पटियाला हाउस कोर्ट में सुनवाई के बाद
बाहर आकर उन्होंने कहा कि क्या उनकी बेटी से हुई दरिंदगी और हत्या के बाद उपजे
आक्रोश को शांत करने के लिए मौत की सजा दी गई थी। जिसके बाद वो रो पड़ी।