गरीबों को मिलने वाला राशन जा रहा था बाजार में बिकने पुलिस ने
किया मामला दर्ज
विगत लंबे समय से जिले में राशन दुकान से
गरीबों को मिलने वाले सस्ते अनाज की कालाबजारी का खेल चल रहा है, लेकिन जिम्मेदार महिने का नजराना लेकर हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं।
यदि जागरूकता न हो तो सस्ते अनाज की कालाबजारी का खेल पर अंकुश लगना मुस्किल है।
लोगों की जागरूकता के चलते राशन दुकान से बाजार में बिकने जा रहे अनाज को लोगों ने
पकड़ा और पुलिस के हवाले कर दिया। खाद्य विभाग में पदस्थ अफसर अपनी जिम्मेदारी
कैसे निभा रहे हैं, वहीं बिछिया पुलिस की कार्यप्रणाली भी संदेहस्पद है। शासकीय
अनाज की कालाबजारी करते आरोपी के साथ वाहन भी पकड़े, लेकिन कार्यवाही कागजों तक सिमट गई।
जॉच करने पर रिकार्ड में कम मिला खाद्यान्न
सूचना मिलने पर खाद्य अधिकारी कल्पना परमानिक द्वारा
संबंधित संस्था के रिकार्ड की जांच कर वहां मौजूद राशन के स्टाक का सत्यापन किया।
जांच में अधिकारियों ने राशन दुकान पर स्टॉक रिकार्ड में कम मिला। जिसके बाद
अधिकारी द्वारा जांच प्रतिवेदन एसडीएम को भेज दिया है आपको बता दें ट्रैक्टर पकडऩे
के बाद पुलिस ने आरोपियों से लंबी पूछताछ की, जिसमें अनाज समिति से खरीदने व ग्रामीणों
से अनाज खरीदना बताने वाले चरण लाल यादव पिता छोटे लाल यादव संतोषजनक जवाब नहीं दे
सके। एफआईआर के बाद जांच दल ने पुलिस द्वारा पकड़ा गया ट्रैक्टर ट्रॉली में रखा
खाद्यान्न सार्वजनिक वितरण प्रणाली का होना पाया है। जांच के मुताबिक राशन को
उपभोक्ताओं में वितरित न कर सेल्समैन व सहायक की मिलीभगत से बेचने के आशय से ले
जाया जा रहा था। मामले में पुलिस ने ट्रैक्टर चालक मान सिंह पिता धनीराम
मरकाम उम्र 40 साल निवासी किसली एवं चरण लाल पिता छोटेलाल यादव उम्र 33 साल निवासी
माडमऊ थाना बिछिया पर धारा 3 व 7 आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 के तहत प्रकरण दर्ज कर लिया है।
पुलिस की कार्यवाही संदेहस्पद, लगे आरोप
पुलिस ने न्यायालय द्वारा गिरफ्तारी के संबंध में
जारी निर्देशों का पालन में गिरफ्तार ना करते हुए अभिरक्षा में लिया है एवं उन्हें
छोड़ दिया है। जबकि गरीबों को बांटे जाने वाला सरकारी आनाज को पुलिस ने दो
आरोपियों के साथ पकड़ा जहां पर गेहूं चावल की कट्टीयो में मार्कर से क्रमांक 1 से लेकर 20 तक गेहूं एवं
चावल की कट्टीयो में मार्कर क्रमांक 1 से लेकर 18 तक मार्क अंकित किया
गया था जोकि सोसाइटी की सुतली एवं प्लास्टिक के बोरों में भरा आनाज ट्रैक्टर में
लदा हुआ था साथ ही ट्रैक्टर क्रमांक एमपी 51 एए 7016 उक्त अनाज के साथ पकड़ाया गया। जांच में
बताया गया है कि उक्त ट्रैक्टर उसके ससुर का है जबकि ट्रैक्टर भरत यादव पिता छोटेलाल यादव
के नाम पर दर्ज है जो एक शासकीय शिक्षक और आरोपी चरन यादव का भाई है जिसके बाद
सूत्रों से मिली जानकारी से पता चला है कि पुलिस द्वारा ट्रैक्टर मालिक जो किसी
शासकीय शिक्षक है उसे बचाने के लिए ट्रैक्टर मालिक के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की
गई है साथ ही कार्यवाही में उसका नाम तक दर्ज नहीं है जबकि संवेदनशील मामले में
संलिप्त मोटर मालिक पर भी कार्यवाही की जानी चाहिए। इन सबके बाद पुलिस की
कार्यवाही पर अब ग्रामीणों द्वारा लीपापोती के आरोप लगाए जा रहे हैं।
मौत हुए व्यक्तियों के नाम से बंटता था राशन
जांच करने गए दल ने प्रतिवेदन में उल्लेख किया है
आमतौर पर सोसायटी पर पीओएस पाइंट ऑफ सेल्स मशीन से उपभोक्ताओं को राशन दिया जाता
है, लेकिन जांच के
दौरान पीओएस मशीन का उपयोग कर राशन वितरण की पुष्टि नहीं हुई। जिसके बाद
खाद्य अधिकारी द्वारा सचिव से मौत हुई लोगों की राशन मिलने संबंधी जानकारी मांगी
है, वहीं जांच में
पता चला कि 17 तारीख तक लक्ष्य का राशन बाँटना बताया गया, उससे पहले
सारा अनाज बिक गया। पूछताछ में उन्होंने स्वयं का अनाज होना बताया जोकि ओम गंगा
स्व सहायता समूह किसली, भिलवानी से लेना बताया जबकि खाद्य विभाग के रिकार्ड अनुसार
सितंबर माह का राशन कुछ मौत हुए लोगों के नाम वितरित हुआ था। जप्त किया गया गेहूं
सार्वजनिक वितरण प्रणाली के लिए जारी होने वाले अनाज की बोरियों में तथा चावल, गेहूं सामान्य
बोरियों में भरा मिला है। अब आगे अधिकारी कठोर कार्यवाही की बात कह रहे हैं लेकिन
अब सवाल उठता है कि कब तक गरीबों को बांटने वाले अनाज की चोरी कर विक्रय किया जाता
रहेगा।
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